उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के लाखों किसानों को राहत देने के लिए खरीफ सीज़न 2025 की शुरुआत में एक नई योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत सरकार किसानों को धान (पैडी) की उन्नत किस्मों पर 50% तक की सब्सिडी दे रही है।
महंगाई, खेती की लागत और मौसम की मार से जूझ रहे किसानों के लिए यह योजना एक उम्मीद की किरण लेकर आई है। यह सिर्फ एक आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर किसान के सपने की ओर बढ़ाया गया एक मजबूत कदम है।

योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के उन किसानों को सशक्त बनाना है जो उन्नत तकनीकों और बीजों के अभाव में अच्छी पैदावार नहीं ले पाते।
सरकार का कहना है कि अच्छी फसल के लिए उन्नत बीज, सही समय और सही तकनीक ज़रूरी है। जब किसान के पास शुरुआती संसाधन ही न हों, तो वह अपनी मेहनत को भी सही दिशा नहीं दे पाता।
इसलिए सरकार ने इस बार बीज की लागत को कम करके किसानों का बोझ हल्का करने का फैसला लिया है।
कौन उठा सकता है योजना का लाभ?
- योजना उत्तर प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों के लिए है।
- राज्य के करीब 2.17 लाख किसान परिवारों को इस योजना से सीधा लाभ मिलेगा।
- इसके लिए किसी पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।
योजना का सबसे खास पहलू यह है कि किसान को बार-बार कार्यालय के चक्कर नहीं काटने होंगे। वह सीधे सरकारी बीज वितरण केंद्र पर जाकर आधार कार्ड और भूमि रिकॉर्ड (खसरा नंबर) दिखाकर बीज खरीद सकता है।
कितना मिलेगा लाभ?
सरकार द्वारा तय किए गए मापदंडों के अनुसार,
- हर किसान को धान के बीज की 50% लागत पर सब्सिडी मिलेगी।
- यह सब्सिडी अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि के लिए लागू होगी।
- किसान को अपने हिस्से का भुगतान वहीं ई-पॉस मशीन के ज़रिए करना होगा।
एक किसान यदि ₹1,000 का बीज लेता है, तो उसे सिर्फ ₹500 ही चुकाने होंगे। बाकी ₹500 सीधे सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में कवर किए जाएंगे।
योजना का असर क्या होगा?
1. पैदावार में सुधार
अच्छे बीज का सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। इससे किसानों को अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता मिलेगी।
2. आर्थिक सुरक्षा
जब बीज की कीमत आधी हो जाएगी, तो किसान अन्य ज़रूरतों पर भी खर्च कर पाएगा – जैसे खाद, सिंचाई या मजदूरी।
3. आत्मनिर्भर किसान
इस योजना से किसान सरकारी सहायता के साथ खुद को बेहतर किसान के रूप में तैयार कर पाएगा। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को जमीनी हकीकत में बदलने की दिशा में एक ठोस कदम है।
योजना से जुड़ी सच्ची कहानी – एक किसान की जुबानी
रामलाल वर्मा, प्रयागराज जिले के एक सीमांत किसान हैं। उन्होंने बताया:
“हमारे पास सिर्फ 1.5 बीघा ज़मीन है। बीज महंगे होते थे तो कम क्वालिटी का लेना पड़ता था। इस बार सरकार ने बीज पर सब्सिडी दी, तो पहली बार उन्नत किस्म का बीज मिला। उम्मीद है कि इस बार फसल भी अच्छी होगी और आमदनी भी।”
यह कहानी सिर्फ एक रामलाल की नहीं है, बल्कि हजारों रामलालों की है जो इस योजना से एक नई शुरुआत की उम्मीद देख रहे हैं।
योजना का लाभ कैसे लें? (स्टेप-बाय-स्टेप गाइड)
- अपने नज़दीकी राज्य कृषि बीज केंद्र पर जाएं।
- अपने साथ ले जाएं:
- आधार कार्ड
- भूमि का खसरा नंबर या किसान रजिस्ट्रेशन नंबर
- बीज खरीदते समय अपना अंगूठा ई-पॉस मशीन पर लगाएं।
- सब्सिडी स्वतः घट जाएगी और बाकी राशि का भुगतान वहीं करें।
- बीज प्राप्त करें और उसकी रसीद संभाल कर रखें।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि किसानों की स्थिति को सुधारने का एक ईमानदार प्रयास है।
जब सरकार और किसान एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तभी असली विकास होता है।
आज की खेती सिर्फ हल से नहीं, नीति और नवाचार दोनों से चलती है। ऐसे में यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
अगर आपने अब तक इस योजना का लाभ नहीं उठाया है, तो आज ही अपने बीज केंद्र पर जाएं और समृद्धि की बुआई करें।